वा छवि को रसखान विलोकत, वारत काम कलानिधि कोटी वा छवि को रसखान विलोकत, वारत काम कलानिधि कोटी
जिंदगी दाँव पर तो लगी ही हुई, मान लो वह अगर रोज लिखता रहे..! जिंदगी दाँव पर तो लगी ही हुई, मान लो वह अगर रोज लिखता रहे..!
पढ़ना कभी कविताएं पढ़ना कभी कविताएं
अति तो अच्छे की भी बुरी है, दारू भी कहाँ अब खरी है... अति तो अच्छे की भी बुरी है, दारू भी कहाँ अब खरी है...
देगे पुष्पांजलि करेंगे भक्ति, प्रेम भाव से उन्हें करेंगे भक्ति। देगे पुष्पांजलि करेंगे भक्ति, प्रेम भाव से उन्हें करेंगे भक्ति।
जाने क्यों तेरी मति भ्रष्ट हुई,चल दिया सीता हरण करने को! जाने क्यों तेरी मति भ्रष्ट हुई,चल दिया सीता हरण करने को!